Shalabhasana
Shalabhasana
शलभासन टिड्डी मुद्रा एक सांस्कृतिक आसन है - रीढ़ की हड्डी के पीछे झुकने के लिए। इस आसन की अंतिम स्थिति टिड्डे या टिड्डे से मिलती-जुलती है, जो कि एक मजबूत पिंड है, यानी घूमने का साधन मजबूत है। शरीर में समान गुणवत्ता का निर्माण करने के लिए, हरकत से संबंधित मांसपेशियों को मजबूत किया जाता है।
Steps
- अपने पेट के बल जमीन पर लेट जाएं और हथेलियों को जमीन पर रखें।
- दोनों पैरों को मिला लें।
- पैरों को सीधा रखते हुए धीरे-धीरे कमर के निचले हिस्से को ऊपर उठाएं। कुछ देर इस स्थिति में रहें।
- अपने दोनों हाथों को पेट के नीचे रखें और पैरों को जितना हो सके ऊपर उठाएं। कमर के सामने के हिस्से को जमीन से छूना चाहिए।
Benefits
- पूरे पीठ के लचीलेपन और ताकत को बढ़ाता है
- कंधे और भुजाओं को मजबूत बनाता है
- विशेष रूप से गर्दन और कंधों में नसों और मांसपेशियों को टोन करता है
- मालिश और पेट के अंगों को टोन करता है, और पाचन में सुधार करता है
Common mistakes
- अपने कंधों को अपने कानों की तरफ न बढ़ाएं, जिससे गर्दन की मांसपेशियों में खिंचाव हो सकता है।
- अपने घुटनों को न मोड़ें, जो आपके पैरों की क्रिया से समझौता करेगा और आपकी निचली कशेरुकाओं को बहुत अधिक भार वितरित करके आपकी पीठ के निचले हिस्से पर दबाव डालेगा।
इस आसन को करते समय शरीर को तनाव न दें।
घुटनों को मोड़कर या ठोड़ी को फर्श से ऊपर न उठाएं।
यह आसन उच्च रक्तचाप या कमजोर दिल वाले लोगों के लिए उपयुक्त नहीं है।
इस स्थिति से पीड़ित लोगों को शलभासन का अभ्यास करने से बचना चाहिए: पेट की तपेदिक, हर्निया, पेट के अल्सर या किसी अन्य समान स्थिति में।
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